Heer... - 1 in Hindi Love Stories by रितेश एम. भटनागर... शब्दकार books and stories PDF | हीर... - 1

Featured Books
  • स्वयंवधू - 31

    विनाशकारी जन्मदिन भाग 4दाहिने हाथ ज़ंजीर ने वो काली तरल महाश...

  • प्रेम और युद्ध - 5

    अध्याय 5: आर्या और अर्जुन की यात्रा में एक नए मोड़ की शुरुआत...

  • Krick और Nakchadi - 2

    " कहानी मे अब क्रिक और नकचडी की दोस्ती प्रेम मे बदल गई थी। क...

  • Devil I Hate You - 21

    जिसे सून मिहींर,,,,,,,,रूही को ऊपर से नीचे देखते हुए,,,,,अपन...

  • शोहरत का घमंड - 102

    अपनी मॉम की बाते सुन कर आर्यन को बहुत ही गुस्सा आता है और वो...

Categories
Share

हीर... - 1

।। ॐ श्री गणेशाय नम:।।

डिस्क्लेमर - ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है, इस कहानी का किसी भी तरह से किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है... कहानी को वास्तविक रंग देने के लिये कहानी की जरूरत के अनुसार ही शहरों के नाम चयनित किये गये हैं, इस कहानी को लिखने का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है इसलिये कहानी में लिये गये पात्रों के नामों और शहरों के नामों को अपनी भावनाओं से जोड़कर ना देखें क्योंकि ये सिर्फ एक कल्पना है!!
==================================

हफ्ते भर के थका देने वाले शेड्यूल के बाद आज फाइनली रविवार का दिन आ ही गया था और भुवनेश्वर की रहने वाली अंकिता आज सुबह से ही अपने सारे काम निपटाने में ये सोचकर लगी हुयी थी कि जल्दी जल्दी सारे काम निपटाने के बाद वो पूरे दिन आराम करेगी...

अंकिता मोहंती... एक प्राइवेट बैंक में पर्सनल बैंकर की पोस्ट पर कार्यरत एक बेहद खूबसूरत और अपने मां बाप की अकेली संतान थी, चूंकि अकेली संतान थी इसलिये अपने मम्मी पापा से मिले लाड़ प्यार की वजह से वो थोड़ी जिद्दी और थोड़ी सी शॉर्ट टैंपर्ड भी थी, अंकिता के पिता अशोक मोहंती उड़ीसा इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में सीनियर इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे लेकिन रिटायरमेंट के कुछ सालों बाद ही उनका देहांत हो गया था, अंकिता अब अपनी मम्मी निर्मला मोहंती के साथ अकेले ही रहती थी..

चूंकि अंकिता के पापा अशोक मोहंती इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के अधिकारी थे और उनकी अच्छी खासी पेंशन आती थी और जॉब में रहते हुये उन्होंने काफ़ी संपत्ति भी इकट्ठी कर ली थी तो अंकिता के जीवन में पैसे की कोई कमी नहीं थी.. ऊपर से वो खुद एक अच्छी जॉब करती थी जिसमें उसे अच्छी खासी सेलरी भी मिलती थी जिसकी वजह से उसका लाइफ़ स्टाइल काफ़ी हाई क्लास का था... हमेशा एसी में रहना, अपनी खुद की कमाई से खरीदी कार से चलना, मॉल्स में जाकर सिर्फ ब्रांडेड कपड़े वगैरह और बाकी चीजें खरीदना.. ये अंकिता के शौक थे!!

अंकिता के नेचर की अगर बात करें तो वो थोड़ी शॉर्ट टैंपर्ड थी ज़रूर लेकिन उसके मासूम से, प्यारे से चेहरे पर गुस्सा जादा देर तक टिक नहीं पाता था और वो हंसने लग जाती थी, वो जिद्दी भी थी लेकिन बत्तमीज़ नहीं थी... सबसे प्यार से बात करना, बड़ों की रेस्पेक्ट करना ये ही उसका चरित्र था, वो अपने घर की नौकरानी से भी घर के किसी सदस्य की तरह ही पेश आती थी और उसकी आवाज़.. आवाज़ तो ऐसी जैसे हर बार कुछ भी बोलने से पहले वो खूब सारी शक्कर खा लेती हो बिल्कुल वैसी... एकदम चाशनी में जैसे डूबी हुयी सी..!! अंकिता ओवरऑल एक बहुत अट्रैक्टिव और प्लीजेंट पर्सनैलिटी वाली लड़की थी!!

वैसे तो अंकिता के घर के सारे काम उसकी नौकरानी किया करती थी लेकिन अंकिता को अपने कपड़े खुद धोना और अपना कमरा खुद साफ़ करना जादा पसंद था, उसे किसी और के धुले हुये कपड़े पहनना और नौकरानी से अपना कमरा साफ़ करवाना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था और आज वो सुबह से अपने कपड़े धोने और रूम की साफ़ सफ़ाई करने के काम में ही लगी हुयी थी...

अपने सारे काम निपटाने के बाद अंकिता अपनी मम्मी निर्मला के साथ ड्राइंगरूम में बैठी चाय पी ही रही थी कि तभी निर्मला अपनी दवाइयों का पाउच लेने के लिये अपने कमरे में चली गयीं, कमरे में जाने के करीब पांच मिनट बाद वो अपनी दवाइयों का पाउच और चार्जिंग पर लगा अंकिता को फोन लेकर रूम से बाहर आयीं और उसे उसका फ़ोन देते हुये और उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुये बोलीं- वो तुझे अभी भी फोन करके परेशान करता है?

सोफे पर बैठकर चाय पी रही अंकिता समझ गयी थी कि निर्मला किसके बारे में बात कर रही हैं इसलिये उसने बिना कुछ बोले अपना फोन उनके हाथ से लिया और अपने फोन की कॉल लिस्ट देखकर उसे चुपचाप टेबल पर रख दिया....

इधर सोफे के साथ ही रखी सोफे वाली कुर्सी पर बैठने के बाद निर्मला थोड़े खीजते हुये से लहजे में बोलीं- मैं शुरू से कहती थी कि ये लड़का मुझे ठीक नहीं लगता, राजीव से दोस्ती करके तूने बहुत बड़ी गलती कर दी...

अपनी बात कहते हुये निर्मला कुर्सी पर बैठे बैठे थोड़ा आगे बढ़ीं और अंकिता का हाथ थामते हुये बोलीं- अंकिता.. बेटा मैं तेरे चाचा से बात करूं इस बारे में? उनकी जान पहचान बहुत अच्छी है.. उनके जरिये इस कनपुरिये राजीव की पुलिस कंपलेंट करवा दें? कल को इसने तेरे साथ कुछ गलत कर दिया तो...

निर्मला को बीच में ही टोकते हुये अंकिता ने कहा- हमारे साथ कुछ गलत करने के लिये उसे यहां आना भी पड़ेगा, अगर वो यहां आता है तो देखा जायेगा बाकी उसे फोन करने दो... उसके बार बार फोन करने से या धमकी भरे मैसेज करने से हम डरने वाले नहीं हैं!!

अपनी बात कहते कहते अंकिता अपना फोन हाथ में लेकर अपनी जगह से उठी और निर्मला के दूसरी तरफ़ जाते हुये थोड़े गुस्से में बोली- उसे क्या लगता है.. वो बार बार हमें फोन करेगा, मैसेज करेगा तो हम उससे बात कर लेंगे... ये कभी नहीं हो सकता, नेवर मीन्स नेवर!! रही बात चाचा जी से कहकर पुलिस कंपलेंट करवाने की तो आपको पता है ना चाची का नेचर कैसा है, उन्हें जब ये बात पता चलेगी तो वो एक की चार लगाकर दुनिया भर में गाना शुरू कर देंगी और उस सब में हमारा भी तमाशा बनेगा और वो सब हम बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पायेंगे इसलिये उसे फोन करने दो.. मैसेज में जो कहना है कहने दो और वैसे भी राजीव बुरा है पर उसके मम्मी पापा बहुत अच्छे हैं, हम बेवजह उन्हें मुसीबत में नहीं डाल सकते..!!

अंकिता अपनी बात निर्मला से बोल ही रही थी कि तभी उसके फोन की रिंगटोन फिर से बजने लगी जिसे सुनकर निर्मला झुंझुलाते हुये बोलीं- ओफ्फो... पहले ही सत्तर से जादा कॉल कर चुका है ये कुत्ता राजीव और अभी फिर से.....

निर्मला को बीच में ही टोकते हुये अंकिता खुश होते हुये बोली- अरे उसका नहीं है यार मम्मी, अजीत का कॉल है और वो भी इतने दिनों के बाद... आप रुको दो मिनट!!

इसके बाद अंकिता ने फोन रिसीव करके एकदम से जैसे चहकने लगी हो.. वैसे लहजे में कहा- हे कूल डूड.. कहां हो तुम यार, कितने दिनों की ट्रेनिंग थी तुम्हारी जो इतने दिनों से गायब हो!!

उधर से अजीत ने कहा- हे ऐंकी बेबी... वॉट्सअप माई बार्बी डॉल!! यार पंद्रह दिनों की ट्रेनिंग थी और जिस रिसॉर्ट में ट्रेनिंग थी वहां नेटवर्क का बहुत इशू था... इसलिये मैंने सोचा घर वापस आकर आराम से तुमसे बात करूंगा.. तुम कैसी हो? आंटी कैसी हैं?

अंकिता ने कहा- हम दोनों मस्त हैं और बताओ कैसी रही ट्रेनिंग?

अजीत बोला- ट्रेनिंग तो मस्त थी लेकिन तुम पहले ये बताओ कि आज कौन सा दिन है?

अंकिता अनजान सी बनते हुये बोली - अम्म्... संडे!!

"बस... संडे!!" अजीत ने कहा...

इससे पहले कि अंकिता कुछ और बोल पाती अजीत तपाक से बोला- अच्छा छोड़ो ये सब, ये बताओ.. लंच पर चलें? इसी बहाने मिल भी लेंगे और एक दूसरे के साथ थोड़ा टाइम भी स्पेंड कर लेंगे...

अंकिता एक्साइटेड सी होते हुये थोड़ा शैतानी सी करती हुयी बोली- या या श्योर यार... लेकिन हम मम्मी के साथ आयेंगे!!

अंकिता की ये बात सुनकर अजीत ने कहा- अम्म्... ह हां हां त.. तुम आंटी के साथ ही आ जाना!!

जिस लड़खड़ाती जुबान के लहजे से अजीत ने अपनी बात बोली थी उसे सुनकर अंकिता हंसते हुये बोली - तो ठीक है फिर हम और मम्मी वन थर्टी पर तुमसे रियो रेस्टोरेंट में मिलते हैं!!

अजीत से लंच पर मिलने का वादा करके अंकिता ने फोन काट दिया और खुश होते हुये निर्मला से बोली- अरे हमारे एक्स कुलीग अजीत का कॉल था जिससे आप एक दो बार मिल भी चुकी हो, उसने अभी लास्ट मंथ ही जॉब स्विच करी है इसलिये वो पंद्रह दिनों की ट्रेनिंग पर गया हुआ था.. अब आया है और अब हमें लंच के लिये इन्वाइट कर रहा है और अब हम रेडी होने जा रहे हैं!!

अंकिता की बात सुनकर निर्मला ने कहा- पर मैं नहीं जाउंगी, मुझे घर पर आराम करना है..

अपने कमरे में जा रही अंकिता ने हंसते हुये कहा- आपको हम ले भी नहीं जा रहे वो तो हम अजीत की टांग खींच रहे थे बस!!

अपनी बात कहते हुये अंकिता अपने कमरे में चली गयी, अंकिता के अपने कमरे में जाने के बाद निर्मला अजीब सी चालाकी भरी हंसी का ठसका लगाते हुये खुद से बोलीं- अंकिता जैसे खुश हो रही है लगता तो नहीं कि अजीत इसका सिर्फ दोस्त है चलो कोई बात नहीं... इस बार इसकी लाइफ में कम से कम लोकल का लड़का ही आया... कहीं उस कनपुरिये राजीव से शादी करके ये कानपुर चली जाती तो मेरा क्या होता!!

क्रमशः